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जिला कारागार में बंदियों के कौशल विकास मनोरंजन के साथ उनकी शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा

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(देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा)

शाहजहांपुर जिला कारागार में बंदियों के कौशल विकास, चिकित्सा, खेल-कूद, योग, ध्यान, आध्यात्मिक ज्ञान, मनोरंजन के साथ-साथ उनकी शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ताकि बंदी साक्षर व उच्च शिक्षित होकर जागरूक हों तथा आपराधिक दुनिया से तौवा कर अच्छे नागरिक बनकर समाज की मुख्य धारा से जुड़कर अपना, अपने परिवार, समाज व देश के विकास में योगदान कर सकें।

इसके लिए कारागार में निरक्षर से साक्षर बनाने, बेसिक शिक्षा, जूनियर, हाईस्कूल, इन्टरमीडिएट व उच्च शिक्षा- बीए, एमए ,डिप्लोमा व व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण की अलग-अलग व्यवस्था की गई है।तथा सभी कोर्स के कारागार से ही फार्म भरवाए जाते हैं। तथा सभी बंदी छात्रों की विधिवत कक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए बाहर से अध्यापकों की व्यवस्था की गई है। तथा सभी पठन-पाठन की सामग्री निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है।

इसी प्रयास का सुखद परिणाम है कि फांसी की सजा पाया बंदी मनोज भी शिक्षा ग्रहण कर अपने किए का पश्चाताप कर रहा है।उसने इस वर्ष हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की तथा इन्टरमीडिएट की परीक्षा और अच्छे अंकों से पास करने के लिए मेहनत कर रहा है।

वर्तमान में निरक्षर से साक्षर बनने के लिए 200 से अधिक बंदी मेहनत कर रहे हैं। जूनियर, हाईस्कूल व इन्टरमीडिएट के अतिरिक्त 150 से अधिक बंदी इन्दिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी,नई दिल्ली से बीए, एमए,व डिप्लोमा कोर्स की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।शिक्षा से उजियारा कहावत बंदियों पर भी सही साबित करने के लिए जेल प्रशासन एक छोटा सा प्रयास कर रहा है।


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