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प्राथमिक विद्यालय धिंयरिया में बच्चों के साथ पढ़ती हैं भैंसे जिम्मेदार मौन अजीत मिश्रा संवाददाता 

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शाहजहाँपुर // जलालाबाद सरकार किसी की भी हो लेकिन करप्ट सिस्टम खत्म होने का नाम नही ले रहा है। आपको बताते चले कि प्राथमिक विद्यालय धिंयरिया में जो जगह बच्चों के खेलने के लिए है उस जगह में भैंसे बांधी जाती है और यह आज से नही बहुत पहले से चल रहा है जिस पर शायद आज तक किसी की नजर नही गई। सरकारी सिस्टम जो ठहरा दौरा तो सभी करते रहते हैं लेकिन देखते कुछ नही की क्या हो रहा है क्या नही खानापूर्ति से मतलब वो हो जाये और अधिकारी वर्तमान में यही कर रहे हैं। ईमानदार सरकार की छवि पर बट्टा लगाने में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक और अधिकारी भी पीछे नही है, सरकार द्वारा इतनी योजनाएं बच्चों के लिए चलाई जा रही हैं जिनसे गरीब परिवार के बच्चों को यह महसूस न हो सके कि वह गरीब थे इसलिए नही पढ़ पाए लेकिन सरकारी सिस्टम उनको यह एहसास दिला के रहेगा कि तुम गरीब हो आगे नही बढ़ सकते शायद विद्यालय परिषर में बंधी भैंसे इस और संकेत कर रही है जहां एक और कान्वेंट स्कूलों में खेलने की जगह पहले बनाई जाती है वहीं दूसरी और सरकार की तमाम व्यवस्थाओं के चलते उनके ही कर्मचारी अधिकारी उनकी बदनामी करने में पीछे नही है। विद्यालय परिषर में भैंस बंधी होने का वीडियो जब कार्यवाहक खण्ड शिक्षा अधिकारी जलालाबाद सुरेश चंद्र को वाट्सएप पर भेजा तब भी महोदय ने कोई कार्यवाही नही की और भैंसे ज्यूँ की त्युं विद्यालय में बांधी जा रही है। आपका साथ हेल्पलाइन फाउंडेशन के राष्ट्रीय सचिव देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा ने इस प्रकरण पर बीईओ से बात की बीईओ साहब ने कहा हम अभी प्रशिक्षण में है बाद में बात करेगे। आखिर ऐसी कौन सी बजह रही होगी जो कि बीईओ सुरेश चंद्र वीडियो देखने के बाद भी बात नही कर रहे और ग्राउंड से भैंसे नही हटवा रहे क्या उच्चाधिकारियों के इशारे पर भैंसे बांधी जा रही हैं या फिर खुद सुरेश चंद्र के सरंक्षण में भैंसे बांधी जा रही है। आज के समय मे प्रत्येक विद्यालय में बच्चों के खेलने के लिए उचित जगह का प्रबंध होता है जो सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में भी किया गया लेकिन यहां के बच्चे किसी गेंद या फुटबॉल से नही बल्कि भैंसों के साथ खेलते हैं क्यूंकि यहां बच्चों के साथ स्कूल में भैंसे पढ़ने आती है। कार्यवाहक खण्ड शिक्षा अधिकारी जलालाबाद सुरेश चन्द्र को राष्ट्रीय सुदर्शन के संवाददाता ने कई बार फोन किया तो उनका जबाब था कि वह मीटिंग में हैं और इसके बारे में कोई जानकारी नही है आखिर खण्ड शिक्षा अधिकारी का लापरवाही भरा बयान क्या दर्शाता है।

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