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निजी छोटे स्कूलों के लॉकडाउन में बिगड़े हालात शिक्षकों का वेतन नही दे पा रहे स्कूल प्रबंधक

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निजी छोटे स्कूलों के लॉकडाउन में बिगड़े हालात शिक्षकों का वेतन नही दे पा रहे स्कूल प्रबंधक




देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा


शाहजहांपुर लॉकडाउन में निजी स्कूलों के बिगड़े हालातों का खामियाजा शिक्षकों और कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है। 50 प्रतिशत निजी स्कूल प्रबंधनों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की मान्यता पर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे स्कूलों की फ़ीस 100 रुपये से 300 रुपये तक प्रतिमाह है ऐसे आठवीं तक संचालित निजी स्कूल शिक्षकों और कर्मचारियों को 1500 रुपये से 3000 रुपये तक जो वेतन दे रहे थे, अब वो भी नही दे पा रहे है। 50 दिन के लॉकडाउन में निजी छोटे स्कूलों की स्थितियां खराब हो चली हैं। कुछ स्कूलों ने मजबूरी में स्टॉप के वेतन में कटौती करना शुरू कर दिया है। वहीं कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां पर फ़ीस आने पर वेतन देने की बात कह दी गई है। आशंका जताई जा रही है कि अगर, स्थितियां नहीं बदली तो आने वाले समय में और भी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। शाहजहांपुर में सीबीएसई और आईएससी बोर्ड के तमाम निजी स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। जानकारों की मानें तो इन नामचीन स्कूलों में फिलहाल स्थितियां ठीक हैं। ये स्कूल मार्च तक की फ़ीस पहले ही फ़रवरी में ले चुके है लेकिन अन्य हिंदी मीडियम के निजी स्कूल फ़रवरी मार्च की फ़ीस नही ले पाये थे इस लिए इनके हालात खराब हो चुके हैं। इन स्कूलों में एक साल बाद ही फ़ीस का हिसाब किलियर हो पाता है 70 प्रतिशत मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चे इन्ही निजी स्कूलों में पढ़ते है कुछ स्कूल प्रबंधको को ऐसा लग रहा है की सरकार चहाती है की ऐसे ग्रामीण क्षेत्र के निजी स्कूल बंद हो जाये और इनके बच्चे सरकारी प्राइमरी, जूनियर स्कूलों में अपना नाम लिखाने को मजबूर हो जाये। लगभग दो महीने से कोचिंग भी बन्द है इस लिए इन स्कूलों के शिक्षकों के सामने भारी संकट है की अपनी आजीविका कैसे चलाये। जो बहुत ही गरीब बच्चे है जिनके अभिभावक मजदूरी य चाट पकौड़ी य अन्य छोटा कार्य करते है उन्हें फ़ीस जमा करने का समय दिया जा सकता है लेकिन जो अभिभावक सक्षम है उन्हें फ़ीस जमा कर सहयोग करना चाहिए ताकि निजी छोटे स्कूल बाले शिक्षकों एव कर्मचारियों का वेतन भुगतान करने में स्कूल बालों को समस्या न हो।

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