शासन की नजर में शराब का महत्व
24 मार्च 2020 से 3 मई 2020 तक लॉक डाउन में संपूर्ण समाज ने बहुत ही शांति एवं सादगी से जीवन जिया ।न कहीं झगड़े की आवाज आती थी, और न ही कहीं डीजे एवं बैंड बाजों से ध्वनि प्रदूषण होती थी और न ही वाहन चलने से वायु प्रदूषित हुआऔर न ही दुर्घटना हुई। शादी समारोह में लाखों फिजूल खर्च भी बच गए अनावश्यक इलाज के लिए अस्पतालों में भी भीड़ कम हो गयी, जिससे भी फिजूल खर्च बचा, और सबसे बड़ी बात मृत्यु दर भी कम हो गई ।,परंतु जैसे ही लॉक डाउन- 3 की छूट देने की बारी आई तो सबसे पहले सरकार ने शराब की दुकानें खोल दी। शराब को पाप की जननी कहा जाता है ,और अब शराब पीकर समस्त पाप होने शुरू हो जाएंगे। सामाजिक- दूरी का कोई ख्याल नहीं रखेंगा ।लॉक डाउन की धज्जियां उड़ेगी। शराबियों के घर में चीख-पुकार शुरू हो जाएगी । समाज में हत्या और आत्महत्या बढ़ जाएंगी। परंतु सरकार को इससे क्या केवल सरकार को टैक्स मिलना चाहिए। आबकारी विभाग बंद हो जाएगा तो सरकार कंगाल नही हो जाएगी और ही शराबी को शराब न मिलनेसे मृत्यु हो जाएगी।मेरा यह अनुमान है कि कोरोना केस अब और बढ़ेंगे। क्योंकि समस्त शराबी अब समूह में बैठकर शराब पिएंगे मुझे मालूम है आबकारी विभाग से सबसे अधिक टैक्स मिलता है। परंतु शराब को बंद करने से देश का विकास तो नहीं रुक जाएगा ।मेरा मत है भले ही जनता को देने वाली कोई सुविधा कम कर दी जाए ,परंतु शराबबंदी अवश्य होनी चाहिए ।
लेखक
सियाराम कुशवाहा"ओम"
शिक्षक
खालसा इंटर कॉलेज गोमती गुरुद्वारा पूरनपुर(पीलीभीत)
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