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पूर्व सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा को शासन ने भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया।

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सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल को कारण बताओ नोटिस जारी किया ।


देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा


लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद निर्देशालय प्रयागराज में लगभग नौ वर्षों तक सचिव पद तैनात रहे। संजय सिन्हा पर कई गंभीर आरोप हैं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की जानकारी में लाए बिना कई जिलों के परिषदीय शिक्षकों के बीच सत्र के दौरान हजारों स्थानांतरण नियम विरुद्ध तरीके से करने का आरोप है।



उत्तर प्रदेश शासन ने निदेशक, साक्षरता, वैकल्पिक शिक्षा उर्दू एवं प्राच्य भाषाएं संजय सिन्हा को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप जांच में सही पाए जाने पर निलंबित कर दिया है। शासन ने उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने के साथ सतर्कता जांच कराने का भी निर्णय लिया है। निलंबन की अवधि में सिन्हा महानिदेशक स्कूल शिक्षा के कार्यालय से संबद्ध रहेंगे। इस मामले में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के कार्यालय से जुड़े सभी पटल सहायकों के खिलाफ भी सतर्कता जांच कराने का निर्णय लिया गया है। संजय के खिलाफ जांच में सहयोग न देने पर बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।


सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज के पद पर अपने लगभग नौ वर्षों के कार्यकाल के दौरान सिन्हा पर संबंधित जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की जानकारी में लाए बिना कई जिलों के परिषदीय शिक्षकों के बीच सत्र के दौरान हजारों स्थानांतरण नियम विरुद्ध तरीके से करने का आरोप है। शिक्षकों के परिवीक्षा काल में ही उनके स्थानांतरण के लिए अनियमित तरीके से मंजूरी देने की शिकायत है। बहराइच, लखीमपुर खीरी, अंबेडकरनगर व अन्य कई जिलों में अनुपस्थित रहने या अन्य कारण से बर्खास्त शिक्षकों से घूस लेकर फिर से सुनवाई कर उन्हें सेवा में रहने के लिए संबंधित बीएसए को आदेश देने का भी आरोप है। शासन की अनुमति प्राप्त किये बिना अंबेडकरनगर, सुलतानपुर, अमेठी, लखीमपुर खीरी, आजमगढ़, फतेहपुर, मुजफ्फरनगर, उन्नाव आदि जिलों में पांच साल से अधिक समय बीतने पर मृतक आश्रितों को सीधे अपने स्तर से नियुक्ति प्रदान करने की शिकायत भी उनके खिलाफ मिली थी। सुलतानपुर में रिक्ति शून्य होने पर भी 500 से अधिक शिक्षकों का अन्य जिलों से वहां स्थानांतरण करने का आरोप भी उन पर था। परिषदीय शिक्षकों को शिथिलता प्रदान करते हुए शासनादेश और विभागीय निर्देशों के विपरीत उनकी पदोन्नति करने की शिकायत भी मिली थी।

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