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उत्तर प्रदेश में संत गाडगे के नाम पर वोट की राजनीति?






शाहजहांपुर/ उत्तर प्रदेश में अब राजनीतिक परिदृश्य बदलता चला जा रहा है राजनीतिक पार्टियां जातिगत राजनीति पर उतर आई हैं जातिगत राजनीति के चलते जिन जातियों के नेता राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय नहीं है उन जाति के लोगों को न्याय भी मिलना दुर्लभ हो गया है उनके लिए मात्र अब कोर्ट का सहारा ही बचा है इस जातीय राजनीति ने समाज का ताना-बाना छिन्न-भिन्न कर दिया है कहीं असली किसान कहीं नकली किसान कहीं हिंदू-मुस्लिम कहीं देशभक्त देशद्रोह की राजनीति इतनी प्रभावी हुई है कि लोगों के अंदर डर सा बन गया है अब राजनीतिक पार्टियों ने संत महापुरुषों को भी राजनीतिक एजेंडा बना लिया है जो राजनीतिक पार्टियां जिले में लगी संत महापुरुषों की प्रतिमाओं पर पर परिनिर्वाण दिवस जन्मोत्सव पर माल्यार्पण करना भी उचित नहीं समझती वह राजनीतिक पार्टियां संत महापुरुषों को राजनीतिक एजेंडे में शामिल कर जिलों में बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित कर चित्र पर माल्यार्पण करती हैं यह नजारा शाहजहांपुर जिले में देखने को मिल रहा है जहां स्वच्छता के जनक कहे जाने वाले राष्ट्रसंत गाडगे बाबा महाराज की 3 प्रतिमाएं स्थापित है लेकिन देखा गया है कभी भी किसी राजनीतिक पार्टी ने किसी भी प्रतिमा पर चाहे संत गाडगे का 20 दिसंबर को परिनिर्वाण दिवस रहा हो चाहे 23 फरवरी को जन्मोत्सव रहा हो प्रतिमा के पास पहुंच कर माल्यार्पण या श्रद्धांजलि देना उचित नहीं समझा वहीं राजनीतिक पार्टियां संत गाडगे का चित्र रख कर धोबी समाज का बोट साधने की नियत से बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन कर रहीं हैं यहां तक मैंने देखा है शाहजहांपुर जिले में जिस राजनीतिक पार्टी के लोगों ने संत गाडगे की प्रतिमा का पुरजोर विरोध किया था आज वह भी वोट की राजनीति के चलते संत गाडगे जन्मोत्सव कार्यक्रमों का आयोजन कर रही हैं यही स्थिति लखनऊ सहित पूरे प्रदेश की है कहीं भी कोई राजनीतिक पार्टी का नेता संत गाडगे की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करने जाने की जरूरत नहीं समझता जिसे राजनीत ही कहा जाएगा उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है प्रदेश में धोबी समाज के समाजसेवी ट्विटर पर फेसबुक पर ज्ञापन के माध्यम से लगातार उत्तर प्रदेश सरकार से संत गाडगे जन्मोत्सव 23 फरवरी को सार्वजनिक अवकाश की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक अवकाश घोषित नहीं हो सका है लेकिन वोट की राजनीति के लिए प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य संत गाडगे जन्मोत्सव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं भाजपा के राज्य सभा सांसद विशिष्ट अतिथि है इसे वोट की राजनीति नहीं तो और क्या कहा जाएगा प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चाहे तो धोबी समाज के द्वारा उठ रही संत गाडगे जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की मांग क्यों नहीं पूरी हो सकती लेकिन राजनीतिक पार्टियों का उद्देश्य संत गाडगे के नाम पर धोबी समाज का राजनीतिक लाभ लेना है उनको सम्मान देना नहीं

 
 
 

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