top of page
© Copyright

शाहजहांपुर आरटीओ विभाग बना, दलालों का अड्डा?

Writer's picture: aapkasaathhelplinefoundationaapkasaathhelplinefoundation


उप संभागीय कार्यालय में शायद ही कोई कार्य बिना चढ़ावा चढ़ाए हो



देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा


शाहजहांपुर। उप संभागीय कार्यालय में शायद ही कोई कार्य बिना चढ़ावा चढ़ाए हो, ये बात सौ टका सत्य है। समय समय पर विभाग में दलालों को लेकर हंगामा भी किया जाता है। लेकिन बेबस जनता सीधे कर्मियों के पास पहुंचती है तो उन्हें टका सा जवाब देकर भगा दिया जाता है। जिसके बाद परेशान लोग दलालों को ही अपना हमराह मानते हैं। तब चंद रुपयों की फीस का कार्य हजारों रुपये में होता है। कार्यालय के बाहर दलालों का बोलबाला है। जबकि सड़क पर नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले डग्गामार वाहन रही सही कसर पूरी कर देते हैं। यहां भी कार्रवाई के नाम खुलेआम उगाही होती है। देश के परिवहन मंत्री नितिन गडकारी ने विभाग की तुलना चंबल के डाकुओं से की हैं। ऐसे में दलालों के बोलबाला का पूरा मामला साफ हो जाता है।


-----कुलदीप तिवारी नाम का बाबू बना दलाल



कुलदीप तिवारी नाम का एक व्यक्ति दूसरे फ्लोर की खिड़की नम्बर 10 पर बैठता जो केवल दलालों का ही काम करता है। सामने से खिड़की बन्द कर पीछे के दरवाजे से पैसे लेकर काम करता है।और जब कोई अपना स्वयं का काम कराने जाता है तो उससे गाली गलौज करने लगता है। विरोध करने पर अपने दलालों के साथ मिलकर लड़ाई झगड़ा और मारपीट करता है। उप संभागीय के अधिकारियों ने उसे खुली छूट दे रखी है। ताज़ा मामला 29 तारीख का जहां ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने गये व्यक्ति ने पैसे नहीं दिए तो उसके साथ अभद्रता व मारपीट की।



-----निर्धारित फीस का नहीं है कोई महत्व


बोर्ड पर फीस अंकित है। लेकिन इसका कोई महत्व नहीं है। दलालों के अपने रेट हैं। जिसमें लाइसेंस का ठेका तीन हजार रुपये में लिया जाता है। जबकि वाहनों के पंजीकरण के नाम पर भी अलग अलग रेट तय हैं। मनमानी फीस पर कार्य कराने वाले दलाल लोगों को फंसाने में भी कोई कमी नहीं छोड़ते हैं। ये दलाल अधिकारियों के संरक्षण का ही नतीजा हैं। प्रतिदिन कार्यालय में आने वाले लोग इन दलालों द्वारा खुलेआम ठगे जा रहे हैं।


----गडकारी के बयान की दिखती है सच्चाई



राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकारी ने जागरण फोरम में बोलते हुए आरटीओ विभाग में बैठे लोगों को चंबल के डाकुओं की संज्ञा दी है। जनपद में भी आरटीओ कार्यालय के बाहर व अंदर ऐसा ही नजारा नजर आता है। कार्यालय के बाहर दलालों का बोलबाला है। दलालों की भीड़ समूह के रूप में नजर आती है। उपसंभागीय परिवहन कार्यालय के बाहर सड़क के दोनों तरफ मेज कुर्सी पर बैठे दलाल चांदी काट रहे हैं। चंद रुपयों का कार्य मोटी कीमत में होता है। यहां सौ से अधिक दलाल बैठे हुए हैं। ये दलाल शाहजहांपुर के कई स्थानों से आते हैं। कार्यालय में मौजूद अधिकारी भी इन दलालों के माध्यम से आने वाली फाइलों को ही अपना कार्य समझते हैं।


----डग्गामार वाहन भी हैं विभाग की मिलीभगत का नतीजा


जनपद में हजारों वाणिज्य वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं। जिनमें लगभग हजारों थ्री व्हीलर व बस हैं। जबकि बाकी वाहनों में मिनी ट्रक, ट्रक व मैजिक सहित अन्य वाहन शामिल हैं। लेकिन डग्गामार वाहनों की संख्या का कोई निर्धारण नहीं है। ये डग्गामार वाहन सड़़क पर दौड़कर जहां अधिकारियों की जेब गर्म करते हैं। वहीं जनता की मौत का कारण बनते हैं। डग्गामार वाहनों पर चालकों के पास लाइसेंस भी नहीं होता। जबकि फिटनेस तो दूर की बात है। ऐसे में हाइवे पर अधिकारी चे¨कग के नाम पर गाड़ी में बैठ जाते हैं। जबकि उनके अधीनस्थ कर्मी खुलेआम उगाही करते हैं। उसके बाद दलाल चालान भरने के नाम पर मुंहमांगी रकम लेते हैं। कुल मिलाकर सब कुछ गोलमाल है।


-----अधिकारियों गणों का कहना


जब इस संबंध में आरटीओ मनोज कुमार से बात करनी चाहिए तो उन्होंने जानकारी नहीं होने की बात कहकर मामला को टाल दिया।

8 views0 comments

コメント


bottom of page