शाहजहांपुर। उत्तर प्रदेश में अनेकों बैंक ग्राहक सेवा केंद्र है जिनके माध्यम से बैंकों द्वारा लेनदेन कराया जाता है ये बैंक अकाउंट भी खोलते है आम भाषा मे इन्हें जनसेवा केन्द्र नाम से भी जाना जाता है एक ही काउंटर पर सभी डिजिटल कार्य यह लोग करते है जिससे आम जनता को शहरों की दौड़ नही लगानी पड़ती है इन केंद्रों पर काम करने के लिए एक व्यक्ति की नियुक्ति की जाती है जिसको बिजनेस कॉरस्पॉडेंट (बीसी) कहते हैं यह सीधे ग्रामीण एवं शहरी इलाकों से जुड़े होते हैं ग्राहकों को बैंक की सारी सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं लेकिन इनकी सुविधाओं के बारे में ना कोई बैंक समझता है न इनसे जुड़ी कंपनी और कंपनी द्वारा बार-बार इन्हें धमकाया जाता है कहा जाता है कि केन्द्र को हर हाल में रोज एक्टिव करें अगर कोई भी बीसी बीमार या अन्य कोई काम से है तो वह सेंटर कैसे एक्टिव कर सकता है ऐसी स्थिति में एक दिन भी सेंटर नहीं खोला जाता है तो इनसे कहा जाता है अगर रोज सेंटर नहीं खोलोगे तो आपका कोड बंद कर दिया जाएगा इस प्रकार कंपनी द्वारा शोषण किया जा रहा है जिससे अधिकांश बीसी डिप्रेशन में आकर काम छोड़ रहे हैं इस कोरोना काल में भी लगातार इन से काम लिया जा रहा है इनको कोरोना में सबसे ज्यादा खतरा बना हुआ है क्योंकि जो ग्राहकों से लेनदेन होता है उस में उपयोग होने वाली डिवाइस पर सभी ग्राहकों के फिंगर लगते हैं इनका भी उसी डिवाइस पर फिंगर लगता है इसलिए अगर किसी व्यक्ति का फिंगर लगा उस डिवाइस पर और लगने वाले ग्राहक को कोरोना हुआ तो ऐसे ग्राहक के माध्यम से इन लोगों को कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा खतरा है बीसी बीमार भी हो रहे हैं इन्हें कोरोना में कार्य करने बाले कर्मचारियों की तरह 50 लाख के बीमे से भी नही जोड़ा गया है फिर भी ये बैंकिंग सुविधाएं ग्राहकों को दे रहे हैं इन्हें ना तो बैंक ना ही कंपनी कुछ समझ रही है उनके काम को नजरअंदाज किया जा रहा है और कोई भी बीसी अगर कम्पनी य बैंक के खिलाफ आवाज उठाता है तो इनका कोड बंद कर दिया जाता है इनके बैंकिंग कार्य को निष्क्रिय कर दिया जाता है सरकार को इन केन्द्र संचालकों बीसी के बारे में कुछ करना चाहिए जिससे इनका शोषण बंद हो जाए।
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