देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा
शाहजहांपुर। पंचायत चुनाव में कम सीटों के आने का मुख्य कारण शिक्षा मित्र, अनुदेशक, रोजगार सेवक और आंगनवाड़ी भी है ये संविदा कर्मी अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी है भाजपा सरकार ने बीते चार सालों में इनके भविष्य को लेकर कोई कार्ययोजना लागू नही की जब की शिक्षामित्रों को अपने संकल्प पत्र में भी स्थान दिया था बाद में सुप्रीमकोर्ट के आदेश का सहारा लेकर इन्हें दस हजार प्रतिमाह पर लाकर छोड़ दिया और साल में 11 माह मानदेय के बर्षो पुराने शासनादेश से जोड़कर बंधुआ मजदूर बना दिया, अनुदेशकों के साथ भी कुछ ऐसा ही किया और उनका मानदेय बढ़ाने की जगह घटा दिया, अध्यापकों की तरह इन से सभी कार्य लिए जा रहे सभी सेवारत प्रशिक्षण कर रहे कक्षा एक से लेकर कक्षा पांच तक के कक्षा अध्यापक भी है लेकिन मानदेय महज दस हजार वो भी साल में 11 माह कोई मेडिकल अवकाश नही आकस्मिक अवकाश भी नही इनके अंदर सत्ता पक्ष के प्रति एक भावना बन गई कि सत्ता पक्ष के द्वारा हमारा शोषण किया जा रहा नौकरशाही हॉबी है अधिकारी इनका सम्मान नही करते संविदाकर्मियों को हाउसहोल्ड सर्वे, बीएलओ, पोलियों, जनगणना चुनाव आदि का कार्य करते है इस लिए इनका ग्रामीण जनता से सीधा जुड़ाव रहता है। ये किसी के भी पक्ष में माहौल बनाने ब बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाते है, 2017 के चुनाव में संकल्प पत्र में वादा करके इनकी अनदेखी करना सत्ता पक्ष को भारी पड़ गया। योगी सरकार ने इन संविदा कर्मियों के प्रति अपना रवैया नही बदला तो आने बाले विधानसभा 2022 के चुनाव में भी सत्ता पक्ष को नुकसान उठाना पड़ेगा।
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