लेखक देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा
उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र परेशान ना हो .....25 जुलाई 2017 को नियमानुसार भविष्य तय करने की जिम्मेदारी भी सुप्रीमकोर्ट ने राज्यसरकार को दी थी। सुप्रीमकोर्ट ने दो लगातार मौके दिए सभी शिक्षामित्रों को खुलीभर्ती के लिए तब तक पुराने नियमों पर रखा जाए ऐसा कहा वेतन/मानदेय राज्यसरकार तय कर सकती हैं। सरकार ने वही किया। मूल स्कूलों में भेजा मानदेय तय किया। पुरानी सेवाशर्त पर कार्य आज भी कर रहे। PAB की रिपोर्ट में देखा होगा की शिक्षामित्रों की संख्या और उसके आगे उनका मानदेय दर्ज हर वर्ष होकर आता है साथ ही लिखा होता हैं 20 सितम्बर 2017 के गवर्मेंट ऑर्डर के आलोक में...... ऐसा कब तक चलता रहेगा?........ जब तक दो मौके पूरे नही होते उसके बाद इनके भविष्य को तय करने की जिम्मेदारी भी राज्यसरकार के ऊपर है।........सबसे बड़ी बात यह है की कांटेक्ट टीचर / कांटेक्ट शिक्षामित्र लिखकर मानव सम्पदा में आने लगा। सरकार इन्हें हटाने की जगह मजबूत कर रही है।........ लेकिन शिक्षामित्र दिनभर सोशल मीडिया पर लगा रहता है विभाग और सरकार के विरोध में क्योंकि उन्हें केवल अल्प मानदेय 10 हजार ही दिख रहा और किसी बात नियम कानून से उनका कोई वास्ता नही है। कहने का मतलब साफ और सरल शब्दों में समझे पहले कुछ लोग शिक्षामित्र के पद लायक भी नही थे। अब उन्हें नियमों की मजबूती से शिक्षामित्र पद लायक बनाया गया हैं। चाहे अध्यापक प्रशिक्षण हो या कुछ और सभी जगह शिक्षामित्रों को स्थान दिया गया। क्या यह सब सरकार ने इन्हें स्कूल से बाहर कराने के लिए किया है। खुद विचार करे।.......लोग समझदार कब बनेंगे। शिक्षामित्रों को ये लगता है जल्द सभी मास्टर साहब बन जायेंगे। अगर मास्टर साहब ही सभी बन जाते तो सभी को हटाया क्यों गया और हटाकर पुरानी नियुक्ति पर क्यों भेजा गया। अब जब पुरानी नियुक्ति पर पहुँच गये तब नियुक्ति प्रमाण पत्र के साथ आदेश पत्रांक संख्या चयन प्रस्ताव सब मांग लिया सत्यापन के नाम पर और ऑनलाइन सर्विसबुक में सभी कुछ दर्ज कर दिया। जाति वर्ग से लेकर ब्लड ग्रुप तक दर्ज किया गया, पूर्व में तैनाती/ नियुक्ति आदेश से लेकर वर्तमान में तैनाती/नियुक्ति आदेश सब दर्ज की गई। अब खुद स्वयं आंकलन करो कि हम बेसिक नियमावली के अनुसार नियुक्ति पाये य शिक्षामित्र योजना के शासनादेश अनुसार नियुक्ति पाये, य जिला चयनसमिति के अनुमोदन पर काउंसलिंग हुई 30 दिवसीय प्रशिक्षण के लिए य ग्राम पंचायत के अनुमोदन पर 30 दिवसीय प्रशिक्षण हुआ। अध्यापकों के सापेक्ष्य पद पर लगे य अध्यापकों के रिक्त पदों पर लगे। रिक्तियों को महिलाओं का मानक पूरा करने के लिए भरना था य पुरुष के मानक को पूरा करना था। तमाम चीजे है। केवल एक बात को समझे अगर आप सर्व शिक्षा अभियान से शिक्षामित्र है किसी अन्य ब्लाक में तैनाती मिल जाये क्या आपका स्तर बेसिक शिक्षा मित्र में परिवर्तित हो जायेगा शायद नही इसी तरह अगर आप जिस पद पर लगे वो पद अध्यापक पद था तब आप जहा जायेगे पद भी साथ जाएगा। एक बात अटल सत्य है उसे समझने का प्रयास करिये शासनादेश (GO) अधिकारियों के लिए दिशानिर्देश के लिए होता है ये उनके लिए महत्वपूर्ण है लेकिन बेसिक शिक्षा अध्यापक नियमावली के अनुसार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का आदेश आपके लिए महत्वपूर्ण है यही आपका नियुक्तिकर्ता है आपको नियुक्ति /तैनाती आदेश यही जारी करने का अधिकार रखता है। बड़े से बड़े वकीलों से सम्पर्क रखने बाले शिक्षामित्र लोग अंग्रेजी के आदेशों को तत्काल हिंदी में लिख देते है लेकिन हिंदी के आदेश की व्याख्या नही कर पाते है।
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