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आदत बनी आशीर्वाद लेखक बालकदास कुशवाहा अध्यक्ष आपका साथ हेल्पलाइन फाउंडेशन

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आदत बनी आशीर्वाद ✒️✒️





नमस्कार मित्रो 🙏

आपका साथ हेल्पलाइन फाउंडेशन के सभी अतिथियों को हम देश में चल रहे कोरोना वायरस के प्रारम्भिक से आज तक कि एक महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं जो सिर्फ एक उदाहरण नहीं, आज हमारे बीच हकीकत है ।

देश में चल रहे कोरोना वायरस की शुरुआत में ही संपूर्ण भारत देश में लाॅकडाउन लगा दिया गया था, सरकार की विन सोचे समझे यह लाॅकडाउन की प्रतिक्रिया से लोगों को जो समय का सामना करना पड़ा वो कभी न भूलने वाला इतिहास होगा, सरकार को लाॅकडाउन करने से पहले सुविधाओं का ध्यान न देना लोगों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी,

वैसे तो चुनौतियों का सामना करना भी शायद आसान हो सकता है लेकिन लोगों की " भूख " भोजन का सामना करना असाधारण है।



मैं उस समय अपने शहर पोरबंदर गुजरात में ऑफिस में ही था जहाँ मेरा pvt Ltd सागर फाइनेंस का ऑफिस है यहाँ पर हमारे मित्रो के सहयोग से लाॅकडाउन के पहले दिन ही गरीब झूपडपट्टी अन्य राज्यों के फसे हुए लोगों को देखकर निर्णय लिया कि कैसे भी असहाय बेसहारा लोगों को भोजन ब्यवस्था करने के लिए आयोजन करेंगे, लिए गये निर्णय में हमारे मित्रो ने मेहनत कर बहुत सहयोग किया, दोपहर 600 लोगों को सांम 400 लोगों की भोजन ब्यवस्था हम हर रोज असहाय गरीबों तक लगातार करते रहें, कभी कभी हम भी भोजन पार्सल लेकर अपने मित्रों के साथ झूपडपट्टी में जाता था

जैसे ही भोजन लेकर जाते थे किस तरह से असहाय लोगों की भीड़ उमड़ जाती थी, यह हमारे लिए कभी न भूलने वाला दृश्य था मासूम बच्चे बृद्धा लोगों को भोजन देकर अपने जीवन का जो आनंदमय समय को हम कैसे भूल पायेंगे, भूख क्या होती है यह दृश्य हम कभी न भूल पायेंगे, हकीकत तो यह है कि उनका प्रेम हमारे लिए एक प्रण बन गया है उन लोगों के बीच कुछ महीने रहकर हमने स्वर्ग का आनंद जमीन पर ही ले लिया है असहाय बेसहारा गरीबों की वह हमारे प्रति भावना, हमारे प्रति प्रेम, हमारे प्रति उनका प्यार, हम जीवन में कभी न भूलें इस क्रम को देखकर मैंने सोचा क्यों न इन लोगों के आशीर्वाद स्वरुप में हम अपने जीवन में एक प्रण लें, क्योंकि हम उन्हें जो भाव से देखते थे तो एक एहसास दिल में उभरकर बारम्बार आता था कि यही है सच्ची देशभक्ति, राष्ट्रभक्ति, देश के लिए प्रेम, मनुष्य की मानवता, ईश्वर की आराधना,भगवान की भक्ति,

मैं धन्यवाद देता हूँ उन असहाय बेसहारा लोगों को जो आज हमें एक प्रण लेने पर मजबूर कर दिया है

धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद

मित्रो हमने लिया प्रण कुछ इस तरह है कि अब हमारे घर में कभी खाना व्यर्थ नहीं होने देंगे, उसी दिन से हमने एक आदत को स्वीकार किया कि दोपहर और सांम सबके भोजन के बाद हम भोजन करते हैं अगर कुछ भोजन बचता है तो उसे फ्रिज में अपने सामने खुद रखते हैं और सांम के भोजन में उसे हम ग्रहण करतें हैं सांम का बचा हुआ सुबह ग्रहण करतें हैं इसमें सबसे बड़ा सहयोग हमारी धर्म पत्नी का है जो हमारे साथ साथ बचा हुआ भोजन को ग्रहण करतीं हैं

यह एक आज हमारे लिए एक सत्य हकीकत है कोई कहानी नही है क्योंकि यैसे यैसे असहाय बेसहारा लोगों को देखकर अब यह हमारी आदत बन गयी है हम आज भी बचा हुआ भोजन को ग्रहण करतें हैं अब तो बहुत स्वादिष्ट भी लगता है

क्योंकि यह आदत हमारे लिए असहाय बेसहारा लोगों का आशीर्वाद है

न राज चाहिए

न ताज चाहिए

इंसान के साथ इंसानियत का फर्ज निभा सकें इसलिए आपका साथ चाहिए ।

आज हमने हमारी संस्था के स्लोगन का पालन करते हुए असहाय बेसहारा लोगोंको यह प्रमाण दिया है कि इंसानियत आज भी जिंदा है

आपका साथ हेल्पलाइन फाउंडेशन के सभी अतिथियों को नमस्कार 🌷🙏

धन्यवाद ।

President

आपका साथ हेल्पलाइन फाउंडेशन

बालकदास कुशवाहा ✒️✒️



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