आजादी के 72 साल बाद भी कायम है जातिगत भेदभाव सुप्रीमकोर्ट
डीपीएस कुशवाहा
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पीठ ने कहा सफाई के कार्य में जुड़े लोगों को खुद को साफ रखने के लिए मूलभूत सुविधाए नही दी जाती है आजादी के 72 साल बाद भी सीवर और मैनहोल में घुसकर सफाई करने का काम जारी है। देश से वाकई छुआछूत क्या हट गया। जस्टिस अरुण मिश्रा सुप्रीमकोर्ट देश की सर्वोच्च अदालत में बैठे जस्टिस ने एक सवाल सभी से किया कि कानून की नजर में छुआछूत हटाया जा चुका है लेकिन हमारा सभी से सवाल है क्या वे सफाई कर्मी व सीवर सफाई कर्मी का काम करने बालों से हाथ मिलाते है~? देश को आजाद हुए 72 साल हो गए फिर भी ऐसी चीजें हो रही यह बेहद अफसोसजनक है। जस्टिस अरुण मिश्रा जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने पूछा अमानवीय हालात में काम करने के लिए मजबूर है लोग क्या देश में वाकई छुआछूत हट चुका है~? इस से घोर अमानवीय कुछ नही हो सकता~? सभी मनुष्य समान है अगर सभी समान है तो समान अवसर क्यों नही मिलना चाहिए। पीठ ने कहा सफाई के कार्य में जुड़े लोगों को खुद को साफ रखने के लिए मूलभूत सुविधाए नही दी जाती है आजादी के 72 साल बाद भी सीवर और मैनहोल में घुसकर सफाई करने का काम जारी है और वह भी बिना सुरक्षा मास्क के इससे घोर अमानवीय और असभ्य कुछ नही हो सकता है। केंद्र सरकार की तरफ से वेणुगोपाल ने बताया देश में ऐसा कोई कानून नही है जो ऐसी गलतियों और घटनाओं के लिए किसी की जवाबदेही तय करे।
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