एआरटीओ विभाग में चल रहे खेल का सीन नम्बर 3 चाहे डी. एल बनवाने जाओ चाहे कोई अन्य काम कराने जाओ मिलना
- aapkasaathhelplinefoundation

- Aug 19, 2019
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एआरटीओ विभाग में चल रहे खेल का सीन नम्बर 3 चाहे डी. एल बनवाने जाओ चाहे कोई अन्य काम कराने जाओ मिलना दलालों से है बगैर दलाल के एआरटीओ कार्यालय में नहीं होता काम

एस.पी.तिवारी/नित्यानंद बाजपेयी लखीमपुर खीरी-यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भले ही भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लाख दावे कर रहे हों लेकिन लखीमपुर खीरी के एआरटीओ पर यह सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं।आपकी गाडी के कागज भले ही पूरे हों लेकिन एआरटीओ को बस अपनी मनमानी करनी है और सरकार की छवि को धूल में मिलाने की पूरी कोशिश रहती है वह गाडियों के चालान अपने मन के हिंसाब से करते हैं यदि आपने अपना परिचय बता दिया तो चालान और भी मंहगा हो जायेगा।यहां के एआरटीओ केवल अपनी मर्जी से अपना काम करते हैं चाहे सरकार के सारे नियम और कानून ताक पर क्यूं न रखना पड जाये।योगी सरकार में दावे भले ही बड़े बड़े किये जाते हैं,लेकिन एआरटीओ दफ्तर में दलालों का राज खत्म नहीं हो रहा है।एक तरफ शासन विभाग को आनलाइन करने की बात कर रहा है, दूसरी तरफ हाल यह है कि विभाग में बगैर दलाल के कोई काम नहीं होता है।दलालों के माध्यम से काम आसानी से हो जाते है वरना विभाग में कोई सुनने वाला नहीं है।चाहे ड्राईविंग लाइसेंस हो,टैक्स जमा करना हो,वाहन की फिटनेस फीस जमा करनी हो, कोई भी कार्य बिना दलाल के नहीं हो सकता है।यदि कोई दलाल काउंटर पर कागज लेकर आता है तो उसका फार्म आदि कागज बाबू साइड में रख लेते है।फार्म पर कुछ नहीं देखा जाता है कि पूरा है या नहीं। अगर कोई वाहन स्वामी सीधे बाबू के पास जाता है तो उसके फार्म को देखकर तमाम खामियां बताकर वापस कर दिया जाता है। कहा जाए कि दलाल सीधे कार्यालय में चले जाते है। जो वाहन स्वामी सीधे काउंटर पर जाते है,उनको लाइन की कतार में खड़ा होना पड़ता है। यदि कोई वाहन स्वामी शिकायत करता है तो उसे और परेशान किया जाता है। दलाल कार्यालय के गेट के बहार खड़े रहते है, वाहन स्वामी से पूछते है कि क्या काम और अपनी सीट पर ले जाते है। दलाल वाहन स्वामी से निर्धारित फीस से अधिक धनराशि लेते है। जब एक माह तक डीएल डाक से नहीं पहुंचता है तो वाहन स्वामी फिर दलाल क पास आकर चक्कर लगाता है। वाहन स्वामियों की आए दिन काम को लेकर दलालों से नोकझोंक होती है। जिला प्रशासन ने कई बार दलालों को हटाया और चार-पांच दिन बाद आकर बैठ जाते है।एआरटीओ प्रशासन ने दलालों को हटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है जिसका नतीजा यह है कि एआरटीओ कार्यालय में बिना किसी दलाल के काम करना मुस्किल शाबित हो रहा है वहीं एआरटीओ अपनी मोटी कमाई को लेकर सरकार की क्षवि खराब कर रहे है।




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