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राजस्थान

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राजस्थान भारतीय लोकतंत्र में कभी भी कुछ भी हो सकता है। 11 दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में एक अजब उदाहरण देखने को मिला है। यहां कर्ज में डूबे एक किसान गिरधारी लाल माहिया ने भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदावरों को हराकर जीत को अपने नाम करने में सफलता हासिल की। चुनाव जीतने के लिए विधायक ने कोई राशि खर्च तक नहीं की। अमूमन चुनाव में प्रत्याशी अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए पानी की तरह पैसे बहाते हैं।




इस किसान ने लोगों से ही चंदा लिया और उन्हीं पैसों से चुनाव लड़ा। अब वह श्रीडूंगरपुर विधानसभा क्षेत्र से सीपीएम विधायक हैं। उन्होंने यह चुनाव जनता के प्यार और स्वीकार्यता से जीता है। उन्होंने खेती के लिए कर्ज लिया लेकिन बिना पैसा खर्च किए विधानसभा चुनाव जीत गए। सीपीएम के टिकट से चुनाव लड़ने वाले गिरधारीलाल माहिया ने लगभग 24000 वोटों से जीत हसिल की है।


जब लोगों ने गिरधारीलाल को चुनाव लड़ने के लिए कहा था तो उन्होंने पहले मना कर दिया था। उनका मानना था कि चुनाव में खर्च करने के लिए उनके पास पैसा नहीं है और भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवारों के सामने वह टिक नहीं पाएंगे। उनका परिवार भी इसके पक्ष में नहीं था। हालांकि लोगों ने उन्हें समझाया और अपनी तरफ से चंदा देने का वादा किया।


पेशे से किसान गिरधारीलाल पिछले 35 सालों से किसान नेता के तौर पर किसानों की लड़ाई लड़ रहे हैं। वह कई बार खेती के लिए लोगों से कर्ज ले चुके हैं। वह बिजली, नहर, नरेगा, पानी के आंदोलन से जुड़े रहे हैं। 2001 में लगातार मूंगफली के दामों को लेकर उन्होंने आंदेलन किया था। उस समय अशोक गहलोत की सरकार को इस आंदोलन के सामने झुकना पड़ा था और राजस्थान सरकार ने मूंगफली के लिए 1340 रुपये तय किए थे।


जीत के बाद गिरधारीलाल ने कहा, 'यह जनता का चुनाव था और जनता संघर्ष कर रही थी। भाजपा और कांग्रेस ने अपने संसाधनों का उपयोग किया और इसके साथ ही पैसा भी खर्च किया। मगर जनता के समर्थन और प्यार में मैंने यह चुनाव जीता। एक तरफ पैसा था और दूसरी तरफ जनता का प्यार। यह ऐतिहासिक चुनाव था जिसमें जनता चुनाव लड़ रही थी।




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