एक नजर अनोखी पहल -
शाहजहांपुर- जब पूरे देश में महिलाओं के साथ गैंगरेप और छेड़खानी के मामले सामने आ रहे हैं, वहीं शाहजहांपुर की एक ऐसी महिला है, जो दिन-रात एक करके अपना और अपने बच्चे का पेट पालने के लिए ई- रिक्शा चला रही है। यह महिला बेखौफ सुनसान सड़कों से लेकर हाईवे और गलियों में रिक्शे के साथ फर्राटा मारते नजर आती हैं। यह हैं रिंकू देवी
पति की मौत के बाद रिंकू देवी दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर हो गर्इं। पहले तो उन्होंने मकानों और फैक्ट्रियों में काम करना शुरू किया, लेकिन घूरने वाली नजरों से तंग आकर उन्होंने मकान और फैक्ट्री में काम करना बंद कर दिया। कुछ समय अपने घर पर अकेले रहकर कुछ करने का मन बनाती रहीं लेकिन महिला होने के नाते ऐसा क्या करती, जिससे उसे दो वक्त की रोजी-रोटी कमा पातीं।
*काफी कठिनाइयों के बाद बनीं रिक्शा चालक*
रिंकू देवी के अनुसार, मोहल्ले के कुछ लोगों ने डेली रोजी-रोटी कमाने के कुछ काम बताए, लेकिन वह काम उनको पसंद नहीं आए। इसके बाद उन्होंने अपने मन की सुनी आैर रिक्शा चलाने की ठानी। इसके बाद उन्होंने रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग शुरू की। काफी कठिनाइयों के बाद वह एक रिक्शा चालक बनीं आैर उन्होंने सम्मान के साथ बेटे व अपने लिए रोजी-रोटी का इंतजाम किया।
*सवारियों को उनकी मंजिल तक पहुंचा रही हैं*
आज महानगर की गलियों और हाईवे पर फर्राटा भरते हुए सवारियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाना रिंकू देवी का काम बन गया है। रिंकू देवी रोज की कमाई से अपना और अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं।
*मदद की दरकार है रिंकू देवी को*
रिंकू देवी का कहना है कि वह अपने बेटे को पढ़ा-लिखा कर एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनाएंगी, लेकिन इस सपने के साथ रिक्शा चालक रिंकू देवी का मन थोड़ा मायूस भी हो जाता है। रिंकू देवी कहती हैं कि किराये का रिक्शा है, पता नहीं कब इसका मालिक इसको वापस ले ले और कमाई का जरिया बंद हो जाए। उन्हें सरकार से मलाल भी है कि आज तक सरकार और प्रसाशन ने उनकी कोई सहायता नहीं की है। किराये के मकान में रह रही रिंकू देवी को उम्मीद है कि एक दिन उनकी जरूर कोई मदद करेगा।
महानगरवासी बोले, महिलाआें को दिया अच्छा संदेश*
वहीं, महानगरवासी रिंकू देवी की इस हिम्मत से काफी खुश नजर आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि महिलाओं को कभी भी समाज में दबकर नहीं रहना चाहिए और बेखौफ समाज में सिर उठाकर चलना चाहिए। रिंकू देवी उन महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गर्इ हैं जो समाज में आदमियों से आगे निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाती हैं।
हम भी आशा करते कि शासनिक ,प्रशासनिक अमला एवं समाजसेवी ,गणमान्य जन उक्त खबर का संज्ञान लें और इस बेसहारा का सहारा वने ।
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