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नई दिल्ली: पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों का परिणाम कल आने वाला है साथ ही लोकसभा चुनाव अगले साल होने हैं और कल से ही संसद का शीतकालीन सत्र भी प्रारंभ होना है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि और डॉलर के आगे कमजोर होता रुपया पहले ही सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है। ऊपर से एग्जिट पोल ने सरकार के माथे पर चिंता की कुछ लकीरें तो खींची ही हैं। ऐसे में सोमवार का दिन केंद्र सरकार के लिए राजनीतिक भूकंप लेकर आया।


पहले सुबह-सुबह ही राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष एवं मोदी सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया तो शाम होते ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने अप्रत्याशित तरीके से अपना त्यागपत्र सरकार के हाथों में थमा दिया।



बीते कुछ दिनों से उपेंद्र कुशवाहा की केंद्र सरकार से नाराजगी जगजाहिर हो चुकी थी। अब कुशवाहा के इस कदम से बिहार की राजनीति में ज्वार-भाटा आना तो तय हो ही गया है, साथ ही 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी इसका खासा प्रभाव पड़ेगा। कुशवाहा की नाराजगी का मुख्य कारण बिहार में सीट बटवारे को मान रहे। लेकिन राजनीति के विशेषज्ञ मामले को इससे कहीं जटिल मान रहे हैं।


दूसरी तरफ पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार व पटेल के बीच मतभेद की खबरें आ रही थीं। माना जा रहा था कि सरकार द्वारा आरबीआई एक्ट के स्क्शन-7 में अपने विशेषाधिकार लागू करने का कदम पटेल को रास नहीं आया था। वह इसे आरबीआई की स्वायत्तता में हस्तक्षेप मान रहे थे। पटेल का यह कदम इन्हीं मतभेदों का परिणाम माना जा रहा है।


वहीं पिछले महीने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने भाषण देते समय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता का पक्ष लिया था। उन्होंने स्वीकार किया था कि नकदी की उपलब्धता, क्रेडिट फ्लो व सरकार के नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार व रिजर्व बैंक में मतभेद हैं। अब ऐसे में उर्जित पटेल भले ही यह कह रहे हों कि इस्तीफा उन्होंने निजी कारणों से दिया है, लेकिन स्पष्ट है कि मामला निजी कारणों से कहीं ज्यादा है।


शीतकालीन सत्र से ठीक पहले विपक्ष को मिला मुद्दा कल यानी मंगलवार से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है। विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें और राफेल सौदे ही मुख्य हथियार के रूप में थे। हालांकि, ये मुद्दे भी पुराने हो चुके हैं और कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियां पहले ही केंद्र सरकार को इन मामलों पर घेरती रही हैं। अब पटेल व आचार्य का इस्तीफा विपक्ष के लिए संजीवनी बूटी की तरह साबित हो सकता है। विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी करने में जुटा हुआ है। कयास लगाए जा रहे हैं कि कल का संसद में होने वाला सत्र काफी गहमागहमी भरा हो सकता है।


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