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बाराबंकी: न इलाज मिला, न स्ट्रेचर, परिजनों ने गोद में उठाकर शव को एम्बुलेंस तक पहुंचाया

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अब बाराबंकी रेलवे प्रशासन अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए इधर-उधर के तर्क दे रहा है.

*रिपोर्टर रतन गुप्ता.सोनौली /नेपाल /

JUNE 10, 2019,******************

बाराबंकी: न इलाज मिला, न स्ट्रेचर, परिजनों ने गोद में उठाकर शव को एम्बुलेंस तक पहुंचाया*******************(*(((((****

बाराबंकी के रेलवे स्टेशन पर रविवार शाम एक ऐसा नजारा देखने को मिला जिसने रेलवे विभाग की लापरवाही तो उजागर की ही साथ ही मानवता को भी शर्मशार कर दिया. यहां एक लड़की के शव को स्ट्रेचर न मिल पाने के कारण उनके परिजनों ने गोद में उठाकर एम्बुलेंस तक खुद पहुंचाया. गोद में शव को बाहर लाने की तस्वीरें न्यूज18 के कैमरे में कैद हो गई. अब बाराबंकी रेलवे प्रशासन अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए इधर-उधर के तर्क दे रहा है.

दरअसल परिजनों की माने तो वह लोग अपने परिवार के साथ संतकबीरनगर के खलीलाबाद से मुम्बई के बांद्रा एक्सप्रेस से जा रहे थे. यात्रा को कुछ ही समय बीते थे कि बहराइच जनपद के जरवल रेलवे स्टेशन पर परिवार की एक सदस्य चांदनी गुप्ता (24) की तबियत खराब हो गई. चांदनी की खराब हालत की सूचना बाराबंकी रेलवे स्टेशन को इस आशय के साथ भेजा गया कि वहां का रेलवे प्रशासन इस परिवार की मदद करेगा. लेकिन इस दौरान चांदनी की मौत हो गई. बाराबंकी स्टेशन पर परिवार ने खुद फोन करके एम्बुलेन्स तो मंगवा ली, लेकिन प्लेटफार्म से एम्बुलेंस तक चांदनी को ले जाने के लिए स्ट्रेचर रेलवे ने नहीं दिया. थक हार कर परिवार ने चांदनी के शव को ट्रेन से किसी तरह रेलवे प्लेटफार्म पर उतारा

*ट्रेन में ही हो चुकी थी मौत*

इसके बाद कुछ लोगों की मदद से चांदनी के शव को गोद में उठा कर बाहर एम्बुलेन्स तक लाया गया. चांदनी गुप्ता के बहनोई जितेन्द्र गुप्ता ने बताया कि जब वह चांदनी को लेकर बाराबंकी के जिला अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने उनसे बताया कि चांदनी की मौत काफी पहले हो चुकी है. जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि वह लोग संतकबीरनगर के खलीलाबाद से मुम्बई के लिए घर से निकले थे, मगर बहराइच जनपद के जरवल रेलवे स्टेशन पर उनके साथ यात्रा कर रही उनकी साली की हालत बिगड़ने लगी. चांदनी की हालत देखकर उन्होंने रेलवे की मदद से बाराबंकी रेलवे प्रशासन को मैसेज भिजवाया था. लेकिन मैसेज मिलने के बावजूद उनकी मदद को रेलवे का कोई कर्मचारी भी प्लेटफार्म पर या ट्रेन में नही आया. मजबूर होकर उन्हें चांदनी के शव को चादर में लपेटकर कुछ यात्रियों की सहायता से गोद में ही उठाकर बाहर लाना पड़ा. जबकि रेलवे विभाग की ओर से उन्हें स्ट्रेचर और अन्य सहायता मिलनी चाहिए थी.


*रेलवे स्टेशन पर नहीं मिली मदद*

उन्होंने बताया कि प्लेटफार्म पर खड़े रेलवे के गार्ड से जब उन्होंने मदद मांगी तो वह भी अभी आने का बहाना बना कर निकल गया. बाराबंकी के जिला अस्पताल में मौके पर तैनात डॉक्टर विनायक ने बताया कि जो मरीज उनके पास लाया गया वह चांदनी गुप्ता थी, मगर उसके अस्पताल पर आने से पूर्व ही उसकी मौत हो चुकी थी.

बाराबंकी जंक्शन के स्टेशन मास्टर सतेन्द्र कुमार ने बताया कि कंट्रोल द्वारा उन्हें जो सूचना मिली थी वह एक युवक के चोटिल होने की थी जिसे जिला अस्पताल भेजा गया है. जब उनसे चांदनी गुप्ता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उसके बेहोश होने की सूचना मिली थी, उसे भी एम्बुलेन्स के माध्यम से अस्पताल भेजा गया. स्ट्रेचर न मिलने के कारण पर वे बगलें झांकते स्टेशन मास्टर ने कहा कि उन लोगों को मेरे ऑफिस आना चाहिए था.***********************************

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