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वट सावित्री पूजा बडी ही धूमधाम से किया गया:- जरवल बहराइच जरवल




जरवल बहराइच-सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए ज्‍येष्ठ माह की कृष्‍ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखा। कहा जाता है जिस तरह से सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज के हाथों से छीन कर लाई थी, उसी तरह इस व्रत को करने से पति पर आने वाले सारे संकट दूर हो जाते हैं। आज वट सावित्री व्रत है, जिसे देशभर में मनाया जा रहा है।


स्कन्द पुराण के अनुसार इस इस व्रत को ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रखा जाता है, लेकिन निर्णयामृतादि के अनुसार यह व्रत जयेष्ठ माह की कृष्‍ण पक्ष की अमावस्या को करने का विधान है। इस दिन वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा और कथा सुनी जाती है। माना जाता है कि इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश मौजूद होते हैं।


सभी महिलाएं सोलह श्रृंगार कर, वट वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री व सत्यावान की मूर्ति स्‍थापित कर पूजा किया। इन्हें धूप, दीप, रोली और ‌सिंदूर से पूजन करके लाल कपड़ा अर्पित करें। बांस के पंखे से इन्हें हवा भी किया। इसके बाद बरगद के पत्ते को अपने बालों में लगाया। रोली को बरगद यानि वट वृक्ष से बांधकर 5, 11, 21, 51 या 108 बार परिक्रमा किया व कथा सुना।

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