top of page
© Copyright

दु:खद खबर के साथ एक प्रस्न भी है । हजारो करोड रुपया मूर्तियों में व खुद के ऐस अराम के लिए खर्ज कर




हजारो करोड रुपया मूर्तियों में व खुद के ऐस अराम के लिए खर्ज कर दिया जाता है ।

मगर इंसान की जान बचाने के लिए लाख रुपया क्यूँ नहीं खर्च किया जाता है ।

कहीं आक्सीजन की कमी से बच्चे मरते है कहीं आग में जलते है ।

जो पैसा फालतू के काम में खर्च कियें जाते है वह किसका है जनता का ही तो है तो जनता के लिए क्यूं नहीं खर्च किया जाता है

लोग मूर्तियों मे व खुद के ऐस अराम के लिए व कुर्सी पाने के लिए हजारो करोण रुपया पानी की तरह बहाते है मगर 15 फिट की सीढी खरीद के देने के लिए पैसा नहीं रहता है

क्या यही बिकाश है जहा इंनसान की जान बचाने के लिए कोई भी फंड नही है न ही कोई ब्यवस्था है फिर भी बिकाश हो रहा है

ऐसा क्यूं है जनता का पैसा जनता के विकास के लिये खर्ज होना चाहिये या मूर्तियों वा खुद के ऐस अराम के लिए बात समझने की है

रही बात जनता की तो जनता क्या चाहती है यह तो वही जाने फैसला भी वही करें मगर जो हुआ वह गलत हुआ है ब्यवस्था पहले जनता की होनी चाहिये या मूर्ती की जनता का बिकास होना चाहिये या उनका जिनको जनता कुर्सी देती है ।

सवाल बहुत है मगर समाधान नहीं है समाधान होना जरूरी है या नही बताएं जरूर सवाल तो बनता है जवाब भी जनता को मिलना चाहिए ।


जो गुजरात में हुआ वह नहीं होना चाहिए दु:ख की खबर है इसपर विचार सब को करना होगा व जांच भी होनी चाहिये जो दोशी है उसे सजा

भी मिलनी चाहिये



Comments


bottom of page