एस.पी.तिवारी/चमन सिंह राणा
लखीमपुर खीरी-जनपद में धूप कड़क होने के साथ ही खेतों में खड़ा गन्ना भी अब सूखने लगा है और जो किसान अपने गन्ने को सेंटरों में लेकर जा रहे हैं वहां भी लम्बी लाईन लगकर गन्ना तुलवाने में किसानों को सामना करना पड़ रहा है।किसानों का कहना है कि तीन चार दिन में गन्ना की ट्रालियां सेन्टरों पर तौली जा रही है।किसानों का आरोप है कि कड़क धूप में गन्ना पूरे तरीक़े से सूख जाता है।
जिस गन्ने की बुवाई करते समय किसान ने तमाम सपने अपनी आखों में संजोय थे वे अब टूटने लगें हैं।घर के जरूरी काम के साथ बच्चों की उच्च शिक्षा में आने वाले खर्चे,घर बनवाने और लोगों से उधार लिए पैसों को चुकता करने का सपना अब तो सपना ही रह गया है।निघासन तहसील की इकलौती बेलरायां सहकारी चीनी मिल का कमोवेश यही हाल है।हालांकि प्रशासन और मिल प्रबंधन का अब भी यही दावा है कि जब तक खेतों में गन्ना है,वह पेराई सत्र समाप्त नहीं करेंगे,लेकिन किसान अब असमंजस में है।किसानों का कहना है कि एक साथ पर्चियां मिल भी गईं तो वह इतनी जल्दी गन्ना मिल तक कैसे पहुंचा पाएंगे।फिलहाल, किसान परेशान हैं।जबकि सट्टे के अतिरिक्त भी काफी किसानों का गन्ना खेतों में खड़ा है।मिल से पर्चियां न मिलने से गन्ना किसानों में संशय की स्थिति है।किसान क्रेशर और गुड़ कोल्हुओं को 180 से 190 रुपये कीमत पर गन्ना बेचने को विवश है।कई ऐसे किसान भी हैं जिनका सट्टा तो है लेकिन धांधली के चलते खेत में गन्ना खड़ा होने के बाद भी उनके सट्टे में गन्ने का रकबा ही नहीं है।चीनी मिल और गन्ना समिति के अधिकारियों की मानें तो लगभग 80 फीसदी गन्ना खरीद के लिए पर्चियां जारी हो चुकी हैं।इन भारी भरकम आंकड़ों के बावजूद हजारों किसानों को पर्चियां न मिलने से उनके खेतों में खड़ी गन्ने की फसल सूख रही।प्रत्येक साल चीनी मिल अधिक गन्ना होने पर किसानों का ऑफर भरकर उनकी पर्चियां बढ़ाते थे।इस साल अभी तक सर्वे ही नहीं हुआ है गन्ने की ही पर्चियां चीनी मिल नहीं दे पा रहा है। ऐसे में किसान ऑफर का बिना इंतजार किए अपना गन्ना कोल्हू और क्रेशर पर बेचने को विवश हो गया है।
ความคิดเห็น