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शहीद मेजर को पत्नी का आखिरी सलाम, बोलीं-मिस यू विभूति फिर मिलेंगे, जहां आतंक का साया न हो




देहरादून 'आई लव यू। मिस यू विभूति। फिर मिलेंगे, ऐसी दुनिया में जहां आतंक का साया न हो । ' अनंत की यात्रा पर जा रहे शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल की पत्नी निकिता ताबूत में पति के चेहरे को एकटक निहारते हुए यही बुदबुदा रही थी । निकिता ने न केवल खुद को दिलासा देने की कोशिश की , बल्कि देश के लिए बलिदान पति से फिर मिलने का वादा करके वहां मौजूद लोगों को भावुक कर दिया।

दस महीने पहले निकिता मेजर विभूति की दुल्हन बनकर आई थीं । घर की दीवारों पर उनके हल्दी के हाथों के निशान लगाए गए थे । इनका रंग अभी फीका नहीं पड़ा है। आज उसी घर के आंगन से मेजर विभूति तिरंगे में लिपटकर अंतिम यात्रा पर जा रहे थे । निकिता बताती हैं कि चार साल पहले कॉमन दोस्तों के बीच मुलाकात हुई थी हमारी । एक-दूसरे को पसंद करने लगे और शादी हो गई ।कल ही तो शादी को दस महीने हुए थे । घर के अंदर महिलाओं के बीच बैठी निकिता, लगातार विभूति की बातें कर रही थीं। बोलते-बोलते गला सूखने पर घरवालों ने अंगूर दिए तो मना कर दिया । आग्रह करने पर एक अंगूर उठाया और बोलीं, अंगूर विभूति के फेवरेट थे।



किसी सैनिक से कम नहीं निकिता


कहती हैं निकिता, मैंने फौजी से शादी की। इतनी मजबूत हूं ही कि खुद और परिवार को संभाल सकूं । विभूति शादी के बाद दो बार ही छुट्टी आए थे । दिसंबर में तो 11 दिन के लिए ही आए। कई सपने थे। अरमान थे। होता है क्या प्यार, यह अहसास विभूति ने ही कराया। वह मेरा सम्मान करते थे। अप्रैल में शादी की सालगिरह की प्लानिंग चल रही थी ।



बेचारे नहीं हैं हम


ढाढस बंधाने आई एक महिला कहने लगीं, 'दस महीने ही हुए थे, बेचारी की शादी को।' इसपर निकिता बोल पड़ीं, 'बेचारी नहीं हूं मैं। फिर सास से बोलीं, मम्मी आप बेचारे हो क्या? क्यों इतना रो रहे हो?

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*आपका साथ न्यूज के साथ कैलाश नाथ राना चीफ ब्योरों बहराइच*

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