पिछड़ा वर्ग ऐसा है जिसका कोई स्पष्ट राजनीतिक रुख नहीं तपेंद्र शाक्य राष्ट्रीय अध्यक्ष सम्यक पार्टी
- aapkasaathhelplinefoundation
- Feb 15, 2019
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सम्यक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तपेंद्र शाक्य की फेसबुक वॉल से पिछड़ो के लिए संदेश
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ 8% यादव वोट बैंक है बसपा के साथ 12% जाटव वोट बैंक है । कांग्रेस के पास परंपरागत रूप से 12% वोट बैंक रहता है और प्रियंका गांधी के आने से यदि 18% मुसलमान मतदाताओं में से 8% भी कांग्रेस की ओर मुड़ता है ,तो कांग्रेस का बोर्ड बैंक 20% हो जाएगा ।इस प्रकार सपा बसपा गठबंधन का वोट बैंक मुसलमान मतदाताओं को सम्मिलित करते हुए 30% होगा ,कांग्रेस का 20% होगा और शेष 50% मतदाता ऐसे होंगे जो बीजेपी के पक्ष में जाएंगे या बीजेपी से नाराज होने की स्थिति में कांग्रेस या अन्य दलों को जाएंगे ।
सबसे बड़ी दुविधा गैर यादव, गैर जाटव मतदाताओं को है, जिनके सामने बहुत ही सीमित विकल्प है ।वे सपा बसपा में उनकी उपेक्षा से नाराज तो हैं किंतु उनके पास कोई अपना बड़ा विकल्प नहीं है। दो राष्ट्रीय दलों का विकल्प है, पहला बीजेपी और दूसरा कांग्रेश।
36% पिछड़ा वर्ग ऐसा है जिसका कोई स्पष्ट राजनीतिक रुख नहीं है ।इसके छोटे-छोटे दल तो हैं , जिसके नेता अपने निजी हित को दृष्टिगत रखते बड़े दलों से 1 या 2 टिकट ले लेते हैं और सारे समाज को उनके लिए गिरवी रख देते हैं ,किंतु आज बदले माहौल में यह छोटे-छोटे दल भी कितना बड़े दलों को अपने समाज के मतदाताओं को बेच पाएंगे ,इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता ।वर्तमान परिस्थितियों में इन 36 परसेंट अति पिछड़े मतदाताओं को जो सीधे ही अधिक से अधिक जोड़ने का कार्य करेगा , उसके साथ जाने को मजबूर होंगे। इसका फायदा अधिकतम कांग्रेस और बीजेपी को मिलेगा ,क्योंकि बसपा में 36% पिछड़े वर्ग के लोगो को अधिक गुंजाइश नहीं है और इस दल में आर्थिक रूप से विपन्न लोगों का भागीदारी संभव नहीं है। अति पिछड़े समाज में गरीब लोग ही हैं।
समाजवादी पार्टी के पास टिकटों का अधिक स्कोप नहीं है और पहले से ही उनके अपने लोग इस लाइन में लगे हैं और 36% अन्य पिछड़े वर्ग के लिए सपा में भी बहुत अधिक गुंजाइश नही है। इन 36% अति पिछड़ों की समाजवादी पार्टी को कभी भी चिंता नहीं रहे और ना ही उन्हें शासन सत्ता में कभी भागीदारी दिया।
पिछले बार भारतीय जनता पार्टी ने 36% अतिपिछड़ों को काफी टिकट दिए थे और उसका लाभ भी मिला। किन्तु भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों ने आरक्षण के संबंध में तमाम गलत निर्णय लिया और और इन वर्गों को शासन सत्ता में उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। ओबीसी एससी और एसटी के लिए आरक्षण की सीमा 50% तय होने से ,जो भी प्रतिभाशाली इन वर्गों के अभ्यर्थी सामान्य वर्ग में चयन पाते थे, उस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया ।
जिस प्रकार से विश्वविद्यालय और उच्च संस्थानों में विभागवार आरक्षण की व्यवस्था और 13 सूत्रीय रोस्टर लागू किया, उससे अब ओबीसी एससी एसटी वर्ग के अभ्यर्थी अगले 100 साल तक विश्वविद्यालयों में और उच्च संस्थानों में शिक्षक नहीं हो पाएंगे।
भाजपा सरकार में नोटबन्दी से बेरोजगारी बढ़ी और किसानों को उचित मूल्य मिलने का आश्वासन पूरा नहीं हुआ ।देश में किसान गरीब से गरीब होता गया। नौजवान बेरोजगार होते गए ।तमाम धार्मिक और भावनात्मक मुद्दों पर देश और समाज को बांटने का काम किया गया और जिस प्रकार सामान्य जातियों के वर्चस्व के लिए भारतीय जनता पार्टी कार्य कर रही है ,उसको देखते हुए इन 36% मतदाताओं का बीजेपी से जोड़ना थोड़ा सा मुश्किल दिख रहा है।
बीजेपी की सरकार केंद्र में है और उत्तर प्रदेश में भी ।इन लोगों ने पिछड़ी जातियों के आरक्षण में वर्गीकरण का आश्वासन दिया था। पूरा नहीं हुआ ।पिछड़ी जातियों में से तमाम जातियां ऐसी हैं ,जिन को आरक्षण का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है । लोहिया जी ने जो आशंका व्यक्त की थी कि पिछड़े और दलित वर्ग की संख्या बल वाली जातियां सारे लाभ पर एकाधिकार कर लेंगे ,वह आज सच साबित हो रहा है । सामाजिक न्याय के हित में वर्गीकरण आवश्यक था । इस दिशा में ना केंद्र सरकार ने कोई कार्रवाई की और ना उत्तर प्रदेश की सरकार ने। ओमप्रकाश राजभर जी काफी मुखर रहे और उन्होंने सरकार से हटने की भी धमकी दी , भाजपा गठबंधन से भी हटने की धमकी दी, किंतु इसका कोई भी असर नहीं पड़ा और यह मुद्दा आज भी अनिस्तारित पड़ा है।
ऐसे में कांग्रेस के पास बहुत अधिक गुंजाइश है । इन 36% अतिपिछड़े वर्ग के लोगों को जोड़ें। इन्हें अधिक से अधिक टिकटों में भागीदारी दे और आरक्षण के संबंध में भी अपना स्पष्ट नजरिया रखें। आरक्षण के वर्गीकरण की भी समय की बहुत बड़ी मांग है। इस संबंध में भी कांग्रेस को अपना स्पष्ट दृष्टिकोण रखना होगा और और सभी लोगों को सभी समाज के लोगों को शासन सत्ता में भागीदारी होते हुए सबके विकास की बात करके कांग्रेसी वर्तमान परिस्थितियों में अधिक से अधिक मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है ।भाजपा की धर्म आधारित नीतियों का जवाब कांग्रेश अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से दे सकती है, किंतु कभी-कभी कांग्रेश भी उदार हिंदुत्व की विचारधारा का पोषक दिखाई देती है। लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान और भारतीय शासन सत्ता का बुनियादी स्वरूप है। इस बुनियादी स्वरूप के प्रति कांग्रेस को अपनी प्रतिबद्धता प्रगट करनी होगी। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए बहुत अधिक संभावना है ,बशर्ते इस संभावना का समुचित लाभ कांग्रेश ले सके और एक नई राजनीति की शुरुआत उत्तर प्रदेश में कर सके।
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