प्रयागराज. सोमवती अमावस्या को इस बार विशेष संयोग बन रहा है। ऐसे में इस बार सोमवती अमावस्या पर स्नान व अन्य तरह की पूजा अर्चना भी विशेष महत्व वाली रहेगी। पंचांग के अनुसार चार फरवरी को सोमवती अमावस्या है और इस दिन विशेष उपाय कर अाप अपने जीवन में कई तरह का फल प्राप्त कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ आचार्य सुधीर वशिष्ठ के अनुसार सोमवती अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहते हैं। अगर जीवन और घर में अशांति है तो आप सोमवती अमावस्या पर पितर शांति कर इस परेशानी का निदान कर सकते हैं। साथ ही इससे पितरों को भी तृप्ति होगी। मगर इसके लिए जरूरी है कि एक विशेष तरीके की विधि की। अाइए आपको बताते हैं कि सोमवती अमावस्या पर किस तरह से करवाएं पितर शांति कैसे मिलेगा लाभ।
4 फरवरी सोमवार के दिन दोपहर के समय 11:30 से 12:30 के बीच यह उपाय करना है। पितर शांति के लिए यह समय कुतप कहलाता है। पितर शांति के लिए यह समय उपयुक्त है। इस दिन 250 ग्राम दूध में 50 ग्राम काले तिल , थोड़ा सा गुड़ मिलाना चाहिए। साथ में एक कच्छा सूत भी लेना चाहिए। यह दूध और कच्चा सूत लेकर पीपल के नीचे चले जाएं। दूध को पितरों का ध्यान करते हुए पिपल की जड़ में चढ़ा दें। इसके बाद कच्चा सूत हाथ में लेकर पीपल की सात परिक्रमा करते हुए लपटते जाएं। परिक्रमा करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहें। साथ ही किसी को इस दिन भोजन भी करवाएं तो और भी ज्यादा पुण्यदायी होगा। ऐसे में आप देखेंगे कि घर के साथ- साथ जीवन में आत्मिक शांति और सुख समृद्धि भी लौटेगी।
पुराणों के अनुसार सोमवती अमावस्या को लेकर ये मान्यताएं
पुराणों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान करने की भी परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है। लेकिन जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं। शिव-पार्वती और तुलसीजी का पूजन कर सोमवती अमावस्या का लाभ उठा सकते हैं। ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है। सोमवती अमावस्या के दिन की यह भी मान्यता है कि इस दिन पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है। सोमवती अमावस्या के दिन सूर्यनारायण को जल देने से दरिद्रता दूर होती है।
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