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डेरा सिरसा प्रमुख के दोषी ठहराए जाने के बाद परिवार की तरफ से उन लोगों के खुलासे किए जा रहे हैं

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अबोहर: हरियाणा के सिरसा से संबंधित पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या मामले में डेरा सिरसा प्रमुख के दोषी ठहराए जाने के बाद परिवार की तरफ से उन लोगों के खुलासे किए जा रहे हैं जिन्होंने राम छत्रपति की हत्या के बाद डेरा सिरसा की तरफ से सुलाह के लिए दबाव बनाने की कोशिश की थी और ये खुलासा उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने किया है।

सुलह के लिए परिवार ने कर दिया था इंकार

उन्होंने कहा कि इस मामले में 1992 में कांग्रेस सरकार के तत्कालीन पूर्व जंगलात मंत्री हंस राज जोसन ने भी डेरे की तरफ से सुलाह के लिए उनके साथियों के साथ बातचीत की गई थी और बिरादरी होने के नाते उन्होंने सोचा था कि वह समझौता करवा पाएंगे तथा इसलिए उनके साथियों के साथ बातचीत की गई। परन्तु परिवार ने उनकी पेशकश को सिरे से नकार दिया। अंशुल छत्रपति ने कहा कि उस समय हंस राज जोसन ने उनके साथियों को यह बात कही थी कि वह विधायक जस्सी की बेटी को अपनी बेटी की तरह मानते हैं और डेरा प्रमुख जस्सी के जमाई होने के नाते उन्होंने पूर्व जंगलात मंत्री हंस राज जोसन का भी सहारा लिया था। उन्होंने कहा कि उस समय हरियाणा में डेरा बाबा भुंमण शाह को लेकर चल रहे विवादों दौरान हंस राज जोसन काफी सुर्खियों में थेे। हालांकि उन्होंने इस मामले में किसी भी कार्यवाही से साफ इन्कार किया और कहा कि वह सिर्फ उस दौर की बात कर रहे हैं जब डेरा सिरसा की तरफ से कई लोगों ने समझौतो की पेशकश की।


कांग्रेस ने हमेशा दिया डेरे का साथ

उधर, शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि इस मामले में कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व जंगलात मंत्र हंस राज जोसन को अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए। उन कहा कि यदि हंस राज जोसन अपना पक्ष स्पष्ट नहीं करते तो अकाली दल अपनी कौर कमेटी की मीटिंग में अगला फैसला लेगा। वहीं सोशल मीडिया पर भी हंस राज जोसन का नाम राजीनामे को लेकर आने के बाद सिख संगत रोष जाहिर कर रही है और कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने हमेशा ही डेरा का साथ लिया है।

पूर्व मंत्री ने सुलह करने की बात को नकारा

वहीं इस सम्बन्धित जब पूर्व जंगलात मंत्री हंस राज जोसन के साथ बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि राम चंद्र छत्रपति हत्या के मामले के बाद राजीनामे के लिए उन्होंने कभी भी परिवार पर दबाव नहीं बनाया बल्कि उन्हें छत्रपति के परिवार के साथ हमदर्दी थी क्योंकि छत्रपति की धर्मपत्नी पंजाब इलाके की होने के कारण वे उनके घर अफसोस के लिए भी गए थे और उन्होंने साफ किया इस मामले में उन्होंने किसी के साथ भी कोई बातचीत नहीं की।

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