शाहजहाँपुर पर्यावरण को साफ व स्वच्छ रखने के लिए सरकार की ओर से प्लास्टिक के लिफाफों के निर्माण, बिक्री और प्रयोग पर पाबंदी लगाने के बावजूद शाहजहाँपुर के अलग-अलग क्षेत्रों में कूड़े वाले स्थानों पर भारी मात्रा में दिखाई देते प्लास्टिक के लिफाफे इस बात का सबूत हैं कि जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद अभी भी बाजारों में प्रतिबंधित प्लास्टिक के लिफाफों का प्रयोग बिना किसी डर से जारी है।
मीडिया में खबर प्रकाशित होने पर प्रशासन कुछ समय के लिए हरकत में आता है और उसके कुछ दिन बाद कुंभकर्णी नींद सो जाता है। प्लास्टिक के लिफाफों का प्रयोग न करने संबंधी बड़े स्तर पर कार्रवाई किए जाने के दावे तो अक्सर किए जा रहे हैं, परंतु यह कड़वी सच्चाई है कि न तो इन लिफाफों का प्रयोग करने वाले दुकानदारों की ओर से इसको गंभीरता से लिया जा रहा है और न ही आम लोगों में जागरूकता आई है।
30 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक के लिफाफे हैं खतरनाक
विशेषज्ञों का यह कहना है कि 30 माइक्रोन से कम मोटाई वाले लिफाफे री-साइकिल लिफाफों में पैट्रोलियम तत्व होते हैं और ये तत्व उसमें पाई गई हर खाने योग्य चीज को भी प्रभावित कर सकते हैं, जबकि कोई दुकानदार इनमें गर्म चाय या दूध आदि डाल कर देता है तो इसका उपयोग इंसानी सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है।
हिमाचल, जम्मू व अन्य राज्यों में सख्ती से प्लास्टिक के लिफाफे बंद केंद्र सरकार की ओर से एन.जी.टी. की हिदायतों व पर्यावरण को शुद्ध रखने के पूरे देश में लगाई सख्त पाबंदी के राज्यों को दिए निर्देशों पर हिमाचल, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर आदि कई राज्यों ने प्लास्टिक के लिफाफों पर मुकम्मल पाबंदी लगाई हुई है और किसी भी सूरत में इसको बिकने नहीं देते, परंतु उत्तर प्रदेश में ये आदेश हमारे अधिकारियों की कथित तौर पर अनदेखी के कारण पूरी तरह से लागू नहीं हो पाते।
सरकार सख्ती करे तो कैसे नहीं लागू होते आदेश पर्यावरण पर आपका साथ हेल्पलाइन फाउंडेशन के राष्ट्रीय सचिव देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा ने कहा कि सरकार चाहे तो सब कुछ हो सकता है। यदि पड़ोसी राज्यों में सख्ती से इन प्लास्टिक के लिफाफों का प्रयोग बंद हो सकता है, तो उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं। यह सब कुछ अधिकारियों की कथित तौर पर मिलीभगत से हो रहा है, जो पर्यावरण प्रदूषण के जिम्मेदार हैं।
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