लखनऊ सूर्य के मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है। शास्त्रानुसार उत्तरायण देवताओं का दिन है। सूर्य के मकर राशि के प्रवेश को मकर संक्रान्ति कहते है। मकर संक्रान्ति अगर सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होती है तो अगले दिन प्रातः सूर्योदय के बाद पुन्यकाल में पवित्र स्थानों पर स्नान दान का महत्व होता है। इस पुन्यकाल में स्नान, सूर्य उपासना , जप, अनुष्ठान, दान करते है। इस दिन काले तिल, गुड़, खिचड़ी, कम्बल, लकड़ी का दान का विशेष महत्व है। इस अवसर पर पवित्र नदियों एवं गंगा सागर में मेला लगता है । ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल व ज्योतिषी आनंद दुबे ने बताया कि 15 जनवरी के बाद मलमास के कारण रूके हुए विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जायेंगे। इस वर्ष की खिचड़ी 15 जनवरी मंगलवार को मनायी जाएगी।पण्डित शक्ति धर त्रिपाठी और आचार्य राजेश कुमार ने बताया कि 14:15 जनवरी की रात्रि को 2:12 बजे सूर्यदेव मकर राशि से संक्रान्ति करेंगे और उसी के साथ खिचड़ी (मकर संक्रान्ति) के पुण्य काल का प्रारम्भ हो जाएगा जो मंगलवार को सूर्यास्त तक चलेगा। इसी दिन से खरमास की समाप्ति एवं शिशिर ऋतु का शुभारम्भ भी होता है।ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि अगर कुंडली में सूर्य शनि का दोष है तो मकर संक्रान्ति पर्व पर सूर्य उपासना से पिता पुत्र के खराब संबंध अच्छे होते है। सूर्य के अच्छे प्रभाव से यश, सरकारी पक्ष और पिता से लाभ, आत्मविश्वास में वृद्धि, सिर दर्द, आँखों के रोग, हडड्यिों के रोग, हार्टटेक आदि रोगों से भी आराम मिलता है। दीपदान खिचड़ी भोज कल श्री शुभ संस्कार समिति की ओर से मकर संक्रांति पर 15 जनवरी को कुडियाघाट पर शाम को मां गोमती की भव्य आरती दीपदान व खिचड़ी भोज का आयोजन किया जायेगा। समिति के अध्यक्ष लक्ष्मी कांत पांडे, महामंत्री ऋद्धि गौड़ ने बताया कि मां गोमती आरती के 14 वर्ष पूर्ण होने पर बसंत पंचमी के अवसर पर मां गोमती का भव्य चुनरी पूजन का आयोजन किया जायेगा। स्नान की व्यवस्था भी की गई है।
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