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राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद विधेयक को राज्यसभा में मंजूरी




नई दिल्ली: राज्यसभा ने बृहस्पतिवार को तकरीबन 17 हजार छात्रों की बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड़) की डिग्री को मान्यता देने वाले ‘ राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (संशोधन) विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी। राज्यसभा में लगभग एक घंटे की चर्चा के बाद इस विधेयक का आज ध्वनिमत से अनुमोदित किया गया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।


चर्चा का जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस विधेयक का मकसद एक विसंगति को दूर करना है। कुछ केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों ने बिना अनुमति के बी. एड़ की शिक्षा शुरू की थी और छात्रों को उपाधि दी गयी थी। यह प्रकरण वर्ष 2011-12 से लेकर 2016-17 तक चला। यह विश्वविद्यालयों की गलती थी और इसकी सजा छात्रों को नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस विधेयक में संबंधित शिक्षण संस्थानों को भी मान्यता दी जाएगी। हालांकि उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी।


उन्होंने कहा कि सरकार बी. एड़ शिक्षा के नये शिक्षण संस्थानों को अनुमति नहीं दे रही है। वर्ष 2020 से केवल एकीकृत बी.एड़ डिग्री की पढ़ाई होगी लेकिन मान्यता दोनों पाठ्यक्रमों की होगी। कुछ समय तक दोनों पाठ्यक्रम रहेंगे और इसके बाद इनके बारे में फैसला होगा।


उन्होंने कहा कि विधि स्नातक की एकीकृत अध्ययन व्यवस्था के बेहतर परिणाम सामने आए हैं। अध्यापकों के प्रशिक्षण पर उन्होंने कहा कि देश में लगभग 14 लाख ऐसे शिक्षक थे जिनकी योग्यता 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण थी। सरकार ने एक योजना बनाकर इनका प्रशिक्षण किया है। इनकी तीन परीक्षा हो चुकी है और अंतिम परीक्षा मार्च 2019 में होगी।


चर्चा में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, जनता दल यू कहकशां परवीन, राष्ट्रीय जनता दल के प्रो. मनोज कुमार झा, आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार गुप्ता, निर्दलीय रामकुमार कश्यप, कांग्रेस के हुसैन दलवाई, बहुजन समाज पार्टी के वीर सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनय विस्वम और कांग्रेस के एल. हनुमंथैया ने हिस्सा लिया।

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