top of page
© Copyright

aks

Writer's picture: aapkasaathhelplinefoundationaapkasaathhelplinefoundation

उत्तर प्रदेश : बेसिक शिक्षा विभाग में पता नही कितने राज छुपे है। शायद कोई जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भी इन गोपनीय राज को नही जनता आपका साथ न्यूज पोर्टल ने उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्र योजना और सर्व शिक्षा अभियान योजना एव पैराटीचर योजना के बारे में खोज की तब पता चला की पैराटीचर योजना कब आई इस पर कब नियुक्ति हुई कोई अभिलेख नही है। कोई जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भी नही जानता है। सर्व शिक्षा अभियान योजना केंद्र सरकार की है। यह सभी बीएसए बता रहे है।और यह भी बताया की शिक्षामित्र सर्व शिक्षा अभियान से वित्तपोषित मई 2010 तक रहे। सर्व शिक्षा अभियान से नियुक्त शिक्षामित्र और अनुदेशक का मानदेय सर्व शिक्षा अभियान की परियोजना से आज भी आ रहा है। कोई खास जानकारी विभाग से प्राप्त नही हो पाई। एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया की कभी शिक्षामित्रों की नियुक्ति नही बदली गई। जो लोग नियुक्त हुए उनपर बेसिक शिक्षा विभाग के नियम ही लागू है। बेसिक शिक्षामित्र योजना राज्यसरकार की है। और सर्व शिक्षा अभियान से नियुक्त भी शिक्षामित्र आचार्य जी और अनुदेशक नाम उनके 30दिवसीय प्रशिक्षण प्रमाण पत्र में लिखा मिल जायेगा। कुल मिला कर उनका कहना था की प्रथम चरण, द्वितीय चरण और तृतीय चरण इस तरह से भर्ती हुई। कौन किस चरण में लगा यह शिक्षामित्र की प्रथम नियुक्ति से तय हो सकता है। इसी तरह से कुछ शिक्षामित्र ऐसे भी नियुक्त है। जिनका नियुक्ति के बाद कभी नवीनीकरण नही हुआ और लगातार सेवा में बने है।



लेकिन यहा पर बात का जिक्र करना जरूरी है कि एक समाचार पत्र अमर उजाला इलाहाबाद ने 30 जनवरी 2011 को प्रकाशित किया था। उसमें लिखा था की अगर केंद्र की योजना लागू करने में कोई बड़ी अड़चन न आई तो जुलाई 2011में बंद स्कूलों के ताले खुल जाएंगे और एकल शिक्षक वाले स्कूलों का संकट भी दूर हो जाएगा। लंबे समय से प्राइमरी स्कूलों में नौकरी की बाट जोह रहे बीएड डिग्रीधारकों के लिए नया रास्ता खुल रहा है। बीटीसी की रिक्तियों को लेकर एनसीटीई से विवाद के बाद सर्व शिक्षा अभियान और एनसीएफ की टीम ने प्राइमरी स्कूलों में बेहतर शिक्षा के लिए नई योजना तैयार की है। तय किया गया है कि केरल और गुजरात की तर्ज पर प्रदेश में पहली बार प्राइमरी स्कूलों में सर्व शिक्षा अभियान से अध्यापक रखे जाएंगे। उसी प्रारूप पर कार्य योजना यूपी में बनी और ऐसे अध्यापकों को फिक्स वेतन 15 हजार रुपये दिए जाने की बात तय हुई। ऐसी भर्ती में ऐसे बीएड डिग्री धारकों को वरीयता दी जाएगी। जो पहले से स्कूल में पढ़ा रहे है। साथ ही स्नातक शिक्षा मित्र के रूप में पढ़ाने वालों को भी मौका मिलेगा। ऐसी नियुक्ति और उनके मानदेय को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सहमति दी थी। एनसीटीई उत्तरी क्षेत्र के एक पूर्व सदस्य डॉ.एमके आहूजा को इस योजना का प्रभारी बनाया गया है। आहूजा पिछले दो दिन इलाहाबाद में थे और निदेशालय के कई अधिकारियों से मिल कर उन्होंने शिक्षकों-स्कूलों के बारे में ब्योरा जुटाया। नई योजना में उन विद्यालयों को भी शामिल किया जा रहा है जो शिक्षा का अधिकार के तहत नए खुल रहे हैं। निदेशालय के अधिकारियों ने आहूजा के साथ मिल कर जो रिपोर्ट शासन को भेजने के लिए तैयार की है, उसके मुताबिक प्राइमरी स्कूलों में पुराने मानक से एक लाख 88 हजार शिक्षकों की जरूरत है जबकि शिक्षा का अधिकार कानून में दर्ज मानक का पालन करने पर दो लाख 92 हजार शिक्षकों की भर्ती करनी होगी। इसके अलावा पहले चरण में जो नए विद्यालय खोले जाने हैं, उनमें लगभग डेढ़ लाख शिक्षकों को रखना होगा। शिक्षा मित्रों को स्थाई करने पर लगभग सवा लाख पद भर जाएंगे। उसके बाद भी तीन लाख से अधिक पदों पर शिक्षकों की जरूरत होगी। बीएड धारकों के बारे में अब तक सरकार कोई फैसला नहीं कर सकी है और बीटीसी डिग्री धारक तैयार होने में कम से कम डेढ़ साल और लगेंगे। ऐसे में पैराटीचर्स को बेहतर विकल्प माना जा रहा है। डॉ. आहूजा के मुताबिक अप्रैल से शुरू सत्र में इसके लिए बजट का बड़ा हिस्सा रखने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद, कानपुर, वाराणसी, लखनऊ, गोरखपुर, मेरठ जैसे बड़ों शहरों में ही 70 फीसदी पद रिक्त हैं और बेहतर शिक्षा के लिए हर स्तर पर दबाव भी बढ़ रहा है, इसलिए योजना जल्द से जल्द लागू हो सकती है।यह अमर उजाला का ही लेख है।


आपका साथ न्यूज का मानना है कि राज्य सरकार ने शिक्षामित्रो को पैराटीचर बना कर भी इन्हे पैराटीचर का दर्जा नही दिया इस आधार पर शिक्षामित्रों और अनुदेशकों की नियुक्ति 2011 के बाद ही मानी जायेगी

इन्ही पैराटीचर शिक्षामित्रो को दूरस्थ पत्राचार बीटीसी राज्यसरकार ने कराई। राज्य सरकार ने इंटरपास शिक्षामित्रो को समायोजित अध्यापक बना दिया। अब देखना यह है जो सर्व शिक्षा अभियान योजना से शिक्षामित्र नियुक्त किये गये उन्हें क्या वर्तमान राज्य सरकार न्याय देगी क्योंकि यह सर्व शिक्षा अभियान से नियुक्ति शिक्षामित्र अध्यापक की नियुन्नतम योग्यता अपनी नियुक्ति के समय रखते थे। और इन्हे दोवर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण एनसीटीई के मानक अनुसार दिया गया। अब देखना यह है कि पूर्व की सरकारो की गलतियों में सुधार वर्तमान सरकार करेगी य फिर इन लोगो को भी वर्तमान सरकार राजनीत का शिकार बनाएगी। यह तो 31 मार्च 2019 से पहले ही पता चल जायेगा। क्योंकि केंद्र सरकार की तरफ से RTE में छूट की समय सीमा 31 मार्च 2019 को समाप्त हो जायेगी। फ़िलहाल राज्य की योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट की आड़ लेकर चुप बैठी है। सर्व शिक्षा अभियान से नियुक्त शिक्षामित्रों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से दो अलग-अलग जस्टिस के डायरेक्शन ऑर्डर भी हुए लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग और राज्य सरकार इन आदेशों को फ़िलहाल नही मान रहे। दोनों याची जनवरी 2019 में हाईकोर्ट कोर्ट की अवहेलना का बाद दायर करने बाले है।


देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा

71 views0 comments

תגובות


bottom of page