आर्थिक तंगी के कारण नया साल 2019 को मनाने बालों में उत्साह नहीं दिख रहा है।
शाहजहाँपुर पिछले कुछ वर्षों से कृषि क्षेत्र में आई बड़ी रुकावट के कारण लोगों में अब त्यौहारों सहित अन्य प्रोग्रामों को लेकर उत्साह ही नहीं रहा है। इस तरह की बनी स्थिति के कारण जहां इस वर्ष दीवाली, दशहरा व अन्य त्यौहारों को लेकर लोगों में बड़ी दिलचस्पी नहीं दिखी वहीं अब नववर्ष 2019 के जश्न को मनाने के प्रति भी लोगों का उत्साह फीका ही दिख रहा है। शहर के बड़े होटलों में नववर्ष की आमद के लिए समारोह तो रखे गए हैं, लेकिन लोगों द्वारा इन समागमों में शिरकत करने के लिए पिछले सालों जितना उत्साह नहीं दिखाया जा रहा।
वैसे इन होटलों के मालिकों ने लोगों को प्रोग्राम में शिरकत के लिए कई स्कीमें लांच की हैं। आज ‘शहर के अलग-अलग क्षेत्रों के साथ जुड़े लोगों से जब नववर्ष की आमद के समारोहों में शिरकत करने के लिए सवाल पूछा गया तो लोगों ने दो टूक जवाब देते कहा कि नोटबंदी तथा जी.एस.टी. की मार के साथ खेती क्षेत्र की रुकावट ने सारा कारोबार ठप्प करके रखा हुआ है। इसलिए नववर्ष के प्रोग्रामों में शिरकत करने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
वहीं पता लगा है कि शहर के कुछ बड़े कारोबारी तो परिवारों सहित समागमों में शिरकत करने के लिए जा रहे हैं, लेकिन आम व मध्यम वर्गीय कारोबारियों ने नववर्ष के प्रोग्रामों से किनारा कर लिया है क्योंकि महंगे भाव की टिकटें लेकर प्रोग्राम देखना लोगों के वश की बात नहीं है। दूसरी तरफ, शहर के होटल मालिकों सहित अन्य मुलाजिमों ने नववर्ष की आमद संबंधी लोगों में कम उत्साह की पुष्टि की है।
अधिकतर ग्रामीणों को नहीं नववर्ष मनाने का चाव
शहर के लोग तो चाहे कुछेक प्रतिशत नववर्ष मनाने के प्रति उत्साहित हैं, लेकिन गांवों के 85 प्रतिशत तक लोगों में नववर्ष मनाने का कोई चाव देखने को नहीं मिल रहा। विभिन्न गांवों के लोगों से जब नववर्ष के जश्न मनाने की तैयारियों के मामले पर बातचीत की तो उन्होंने कहा कि गांवों में इस संबंधी कोई भी समागम नहीं होता। गांवों के लोगों ने कहा कि किसान वर्ग के अन्य खर्च ही पूरे नहीं होते, इसलिए नववर्ष के जश्नों पर पैसे खर्च करने की ग्रामीण लोगों की समर्था ही नहीं है। गौरतलब है कि गांवों के लोग नए वर्ष की आमद के मौके पर कई स्थानों पर धार्मिक समागम करवाकर नववर्ष की शुरूआत करने की तैयारियां जरूर कर रहे हैं।
होटल प्रबंधकों ने प्रोग्राम किए छोटे
पता लगा है कि शहर के कई नामी होटल कारोबारियों ने इस बार प्रोग्राम पहले से छोटे रखे हैं। होटल मालिकों ने गाने-बजाने का काम तो प्रोग्राम में रखा है, लेकिन खाने-पीने संबंधी सारा कुछ पैकेज की बजाय लोगों पर ही छोड़ दिया है कि लोग अपने स्तर पर अपनी आॢथकता अनुसार ही खाने-पीने पर खर्च कर सकते हैं। इसके साथ शहर व मोहल्ले के लोगों ने नया साल 2019 को खुशामदीद कहने के लिए अपने स्तर पर छोटे-छोटे प्रोग्राम रखने की योजनाबंदी करनी भी शुरू की है ताकि कम पैसा खर्च करके लोग एंज्वॉय कर सकें।
देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा
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