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रिपोर्ट, प्रमोद सिंह / मनोज सिंह ,


उन्नाव । प्रयागराज से चलकर सारस्वत साहित्य यात्रा हिंदी के प्रख्यात समालोचक आचार्य नंददुलारे बाजपेई की जन्मस्थली मगरायर बीघापुर पहुंची।



साहित्यिक यात्रा के अगुवा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मुस्ताक अली ने कहा कि उन्नाव जनपद हिंदी साहित्य की तीर्थ स्थली है। प्रत्येक वर्ष यात्रा एक साहित्यकार के गांव पहुंचकर उनकी स्मृतियों पर चिंतन मनन करने का कार्य करती है ।


आचार्य नंददुलारे बाजपेई हिंदी समालोचना के प्रकांड पंडित थे और महाकवि निराला को छायावादी कवियों में स्वीकार्यता दिलाने के प्रबल स्तंभ रहे हैं ।पंडित देवी दत्त पंडित रमा दत्त साहित्य शोध संस्थान के सचिव डॉ व्रतशील शर्मा ने कहा हिंदी के अनन्य सेवकों की उर्वरा भूमि अद्भुत क्षमता प्रदान करती है ।यात्रा के भ्रमण का सहयोग कर रहे साहित्य भूषण से सम्मानित डॉ गणेश नारायण शुक्ल ने साहित्य मनीषियों का स्वागत करते हुए कहा यह यात्रा नवचेतना व साहित्य के प्रति अनोखे लगाव को दिखाती है।


यात्रा में केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद शाखा प्रयागराज के उप प्रमुख डॉक्टर बजरंगबली गिरि, डॉ विधुभूषण राम तिवारी, त्रिभुवन पांडे, धर्मेंद्र चौबे व पंकज सिंह शामिल है, गांव में आचार्य नंद दुलारे बाजपई की स्मृति में बने पार्क व उनके पैतृक आवास को देखा तथा मौजूद परिजनों से जानकारी ली। पारिवारिक बहू मोहिनी बाजपेई ने आचार्य जी की स्मृतियों के संस्मरण यात्रा दल को बताएं ।बाबू गंगा प्रसाद ने यात्रा दल के सदस्यों का स्वागत किया।

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